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ए.डी.एफ. इंटरनेशनल में वैश्विक धार्मिक स्वतंत्रता के कानूनी सलाहकार सीन नेल्सन के साथ विशेष साक्षात्कार
फ्लोरिडा में पले-बढ़े होने के कारण मेरी परवरिश एक ईसाई के रूप में हुई । कॉलेज की पढ़ाई के लिए लॉस एंजिल्स जाने के कुछ समय बाद ही मैंने अपना विश्वास खो दिया, क्योंकि मुझे उपयुक्त कलीसिया नहीं मिल पायी और कक्षाओं में और सहपाठियों से मुझे सभी प्रकार के नए और ज़्यादातर क्रांतिकारी विचारों से परिचित कराया गया। इसलिए मैं बहुत जल्दी नास्तिक और काफ़ी हद तक वामपंथी बन गया, यहाँ तक कि कॉलेज के अंत में और उसके बाद थोड़े समय के लिए वामपंथी और उदारवादी कारणों के लिए जन आन्दोलनों में मेरी सक्रियता रही और मैंने उन जनसंगठनों केलिए धन संग्रह का काम भी किया।
कैलिफ़ोर्निया के इरविन कॉलेज में स्नातक की पढ़ाई के दौरान, मैंने अपने कुछ पठन पाठन के कारण, विशेष रूप से एडमंड बर्क के फ्रांस में क्रांति पर विचारों से प्रभावित होने के कारण, राजनीतिक रूप से थोड़ा संयमित सोच रखने लगा, लेकिन हार्वर्ड में लॉ स्कूल के दूसरे वर्ष, अचानक मुझे अपना विश्वास फिर से प्राप्त हुआ। यह मेरे विश्वास खोने के लगभग नौ साल बाद हुआ होगा।
नास्तिक के रूप में इस पूरे समय के दौरान, मुझे धर्म के साथ कभी भी बहुत ज़्यादा परेशानी नहीं हुई। मेरे कुछ दोस्त ईसाई थे, और मैं हमेशा उनका सम्मान करता था और येशु को एक महान व्यक्ति के रूप में मानता रहा, लेकिन मुझे बस यही लगता था कि वे अंततः गलत थे, और यह कि ईश्वर, एक ऐसा विचार मात्र है जिस के माध्यम से दुनिया में कुछ महान विचार और अच्छी कला के कार्यों का जन्म हुआ है, लेकिन दुनिया को समझाने या एक सार्थक जीवन जीने के लिए ईश्वर आवश्यक नहीं था। मैंने अज्ञेयवादी होने से इनकार कर दिया क्योंकि मुझे तटस्थ रहना पसंद नहीं था।
विभिन्न व्यक्तिगत कारणों से, मैंने लॉ स्कूल के अपने दूसरे वर्ष के दूसरे सेमेस्टर में फैसला किया कि मैं वास्तव में अपने जीवन में चीजों का पुनर्मूल्यांकन करने और ‘खुद पर काम करने’ के लिए समय निकालना चाहता हूं। मैं अपने आवास में अपने साथियों के साथ देर रात तक अक्सर लंबी दार्शनिक बातचीत करता था, और एक अमुक बातचीत ने मुझ पर गहरा प्रभाव डालना शुरू कर दिया। मुझे हमेशा से सुंदरता और सौंदर्यशास्त्र के विचार में बहुत दिलचस्पी रही है। मैंने स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर पर अंग्रेजी साहित्य और कला के इतिहास का अध्ययन किया था, और लॉ स्कूल जाने से पहले किराए का भुगतान करने के लिए कला दीर्घाओं, फिल्म सेटों और प्रदर्शन कला केंद्रों में काम किया था।
उन वार्तालापों में जो बात मुझे चिंतित करती थी, वह यह थी कि मैं सुंदरता को बहुत महत्व देता था, लेकिन अब काफी समय से, कला और साहित्य की दुनिया में सुंदरता का बहुत कम महत्व रह गया था, और यहाँ तक कि इसे संदेह की दृष्टि से भी देखा जाता था। मुझे ऐसा लगता था कि पिछली पीढ़ियाँ कला के महान कार्यों का निर्माण करने में सक्षम थीं क्योंकि उनका मानना था कि सुंदरता में कुछ महत्वपूर्ण और अंतर्निहित सकारात्मक शक्ति होती है।
और इसलिए, मैंने सोचा, क्या यह अजीब नहीं है कि सुंदरता, चाहे कितनी भी धुंधली क्यों न हो, किसी महान सत्य की ओर इशारा करती है, और क्या यह इतिहास में कला और साहित्य के महान कार्यों में स्पष्ट नहीं दीखता है? ऐसा लगता है कि इसके लिए कोई प्राकृतिक व्याख्या नहीं है – कम से कम, मैं एक भी प्राकृतिक व्याख्या नहीं सोच पाया – और इसलिए मैंने सोचा कि इसका मतलब किसी तरह की गैर-प्राकृतिक या अलौकिक व्याख्या, किसी तरह का प्रयोजनवाद या सत्य की ओर सौंदर्य का उन्मुखीकरण होगा। जिससे यह सवाल उठता है कि हमारे भीतर उस भावना को कौन या क्या निर्देशित करेगा? इसका स्पष्ट उत्तर ईश्वर होगा। इसलिए मुझे परेशान करने वाला एक आभास हुआ कि मैं सुंदरता के महत्व को बनाए रखने वाले ईश्वर की पूर्वधारणा के बिना दुनिया में सुंदरता के महत्व पर विश्वास करना जारी नहीं रख सकता।
ईश्वर के लिए सबसे अच्छे तर्क खोजने के लिए, मैंने ऑनलाइन में कुछ अनुशंसित पुस्तकों की तलाश की और जी.के. चेस्टरटन की ‘ऑर्थोडॉक्सी’ नामक किताब पढ़ी। इसने मुझे चौंका दिया। पुस्तक ने विशुद्ध रूप से ‘तर्कवादी’ सोच के तरीकों की सीमाओं को शानदार ढंग से समझाया और इसने मुझे आश्वस्त किया कि जीवन के प्रतीत होने वाले विरोधाभासों की सबसे अच्छी व्याख्या ईसाई धर्म करता है। जिन चीज़ों को मैं गहराई से महत्व देता था – आत्म-समर्पण करने वाला प्यार, तर्क, नैतिक सोच, स्वतंत्र इच्छा, ये सारी बातें – सुंदरता की तरह, ईश्वर के आधार पर ही कोई मतलब रखती थीं। क्योंकि ईश्वर ने उन बातों को मनुष्य के लिए बनाया था और उन्हें मनुष्य की परम अच्छाई के लिए निर्देशित किया था।
तो अब मुझे पता चला कि मेरे पास अपने नास्तिक विश्वासों को चुनौती देने के लिए बहुत सारे आधार हैं। मुझे लगता है कि ईश्वर से मुझे जो आशीर्वाद मिला है, उनमें से एक यह है कि मैं हमेशा किसी भी बात की सच्चाई का पता लगाने और उस सच्चाई के अनुसार जीने के लिए बहुत चिंतित रहा हूँ। और इसलिए, मेरे पास एक बहुत ही स्पष्ट विकल्प था। मैं पहचान सकता था कि मैं इन पिछले नौ वर्षों से गलत था, और ईसाई धर्म के अनुसार जी सकता था, जिसका मतलब था कि मेरे जीवन में काफी बदलाव आएगा। या फिर जो मुझे बिलकुल स्पष्ट लग रहा था, उस पल को अनदेखा कर सकता था और अपना जीवन वैसे ही जीना जारी रख सकता था, जैसा मैं जी रहा था, यह जानते हुए कि मैं जानबूझकर झूठ और पाप में जी रहा था। और इसलिए किताब पढ़ने के दो हफ़्ते बाद, मैंने नौ सालों में पहली बार एक रात को प्रार्थना की। मैंने ईश्वर से मेरे अविश्वास के लिए मुझे माफ़ करने और जैसा मुझे जीना चाहिए वैसा जीवन जीने में मेरी मदद करने के लिए कहा ।
अगले रविवार को मैं गिरजाघर गया। मुझे ख्रीस्तीय संप्रदायों के बारे में ज़्यादा जानकारी नहीं थी, इसलिए मैं बोस्टन के एकमात्र गिरजाघर में गया, जिससे मैं परिचित था, जो इमैनुएल एपिस्कोपल चर्च था, क्योंकि मैंने वहाँ शास्त्रीय संगीत के कार्यक्रमों को देखा था। वहाँ खुला प्रभु भोज था, इसलिए मैंने उस रविवार को प्रभु भोज में भाग लिया, और उस समय मुझे एक बहुत ही मजबूत अनुभूति हुई, लगभग एक दर्शन की तरह, कि जो सबसे महत्वपूर्ण था वह यूखरिस्त में येशु का शरीर और रक्त था।
मैंने अगले कुछ महीनों में अलग-अलग कलीसियाओं पर विचार करना शुरू कर दिया। मैं एक ऐसी कलीसिया का हिस्सा बनना चाहता था, जिसमें यूखरिस्त में येशु की वास्तविक उपस्थिति हो और परम्परागत या प्राच्य सामाजिक शिक्षा हो, इसलिए मैंने कैथलिक धर्म पर गंभीरता से विचार करना शुरू कर दिया। जिस बात ने मुझे सबसे ज़्यादा प्रभावित किया, वह थी युगानुयुगों से कैथलिक धर्म की शिक्षाओं की निरंतरता, यूखरिस्त पर इसकी शिक्षाओं से लेकर इसके प्रो-लाइफ़ या प्रचुर जीवन के बारे में साक्ष्य और परिवार पर शिक्षायें।
कैथलिक कलीसिया पर मेरे लिए दिक्कत की मुख्य बात संत पापा वाली सोच से थी, लेकिन मुझे लगा कि मेरी यह समस्या मुख्य रूप से पहले से मौजूद पूर्वाग्रहों से उत्पन्न हुई हैं। जब मैंने इसे संत जॉन हेनरी न्यूमैन के विचारों के अनुसार देखा, जो कलीसिया के श्रेष्ठपिताओं से लेकर युगों-युगों तक कैथलिक कलीसिया की स्थिरता और एकता के एक स्पष्ट प्रत्याभूतिकर्ता और संकेत के रूप में थे, तो मैंने उन कठिनाइयों पर काबू पा लिया। मैंने फैसला किया कि संत पापा को छोड़कर कैथलिक कलीसिया को खोजने की कोशिश करना समझदारी नहीं थी, इसलिए मैंने 2015 की गर्मियों के अंत में कैथलिक बनने का दृढ़ निर्णय लिया।
मैंने उसी साल शरद ऋतु में हार्वर्ड स्क्वायर में सेंट पॉल में ईसाई दीक्षा संस्कार कार्यक्रम में प्रवेश लिया। इस दौरान, मैंने धार्मिक स्वतंत्रता में रुचि विकसित की और अपने एक प्रोफेसर के लिए धार्मिक स्वतंत्रता के मुद्दों पर एक शोध सहायक के रूप में काम किया। 2016 के पास्का जागरण पर, मुझे दृढीकरण संस्कार दिया गया और इस तरह मैंने कैथलिक कलीसिया में प्रवेश किया। क्योंकि संत थॉमस एक्विनास के लेखन ने मुझे मेरे सभी सवालों के सबसे ठोस जवाब दिए, इसलिए मैंने अपने दृढीकरण संस्कार के दौरान संत थॉमस एक्विनास को अपना संरक्षक संत बना लिया।
स्नातक की डिग्री प्राप्त करने के बाद मैं मुकदमेबाजी के एक बड़े फर्म में काम शुरू करने के लिए लॉस एंजिल्स वापस चला गया। मेरी पत्नी और मैंने अगले वर्ष 2017 में विवाह कर लिया। कुछ ही समय बाद, जबकि मुझे फर्म में अपना काम अच्छा लग रहा था, मुझे यह प्रबल अनुभूति होने लगी कि मुझे अपने जीवन और व्यवसाय का उपयोग एक बड़े मिशन के लिए करना चाहिए। इस तरह मैंने 2018 में अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता के लिए काम करना शुरू किया और वाशिंगटन, डी.सी. क्षेत्र में चला गया।
मेरे वर्तमान कार्य के बारे में मुझे जो सबसे ज़्यादा पसंद है, वह है उप-सहारा अफ़्रीका, मध्य पूर्व और उत्तरी अफ़्रीका तथा एशिया में, उन लोगों का अविश्वसनीय विश्वास देखना, जो कल्पना से परे सबसे बुरे उत्पीड़न का सामना कर रहे हैं। वे जो सच्चे नायक और संत हैं, और सबसे कठिन परिस्थितियों में सुसमाचार की गवाही देते हैं, उन लोगों को जानना और उनकी मदद करना मेरे लिए एक आशीर्वाद है। मैं प्रार्थना करता हूँ कि मैं हमेशा मसीह में वैसा ही विश्वास रखूँ जैसा उनका है।
सीन नेल्सन currently works as a Legal Counsel for Global Religious Freedom with ADF International. He lives with his wife and four children in Washington, D.C.
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